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लॉस्ट स्प्रिंग का सार

"लॉस्ट स्प्रिंग" वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों के कठिन जीवन पर प्रकाश डालती है, जिन्हें शिक्षा के अवसर से वंचित रहना पड़ता है और उन्हें कम उम्र में ही काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. कहानी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती, सीमापुरी में रहने वाले साहेब नाम के एक लड़के के इर्द-गिर्द घूमती है.
साहेब 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान विस्थापित परिवारों में से एक है. वह अपने माता-पिता के साथ कचरे के ढेरों में से रिसाइकिल करने योग्य चीजें ढूंढकर जीवनयापन करता है. साहेब स्कूल जाने और पढ़ाई करने का सपना देखता है, लेकिन गरीबी के कारण उसे काम करना पड़ता है.
कहानी में मुकेश और रमेश जैसे अन्य बच्चों का भी वर्णन है, जो चाय की दुकान पर काम करते हैं या अमीर घरों में नौकर के रूप में काम करते हैं. इन बच्चों के पास भी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं है और वे बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं.
"lost spring summary in hindi " बाल श्रम की समस्या पर प्रकाश डालती है और यह समाज के उन वंचित वर्गों की दुर्दशा को उजागर करती है, जिन्हें शिक्षा और बेहतर जीवन के अवसरों से वंचित रहना पड़ता है.